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Showing posts from June, 2020
                                          कबीर वाणी  कबीर की वाणी जीवन की आपाधापी में हर इंसान अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हाथ—पांव मार रहा होता है, लेकिन किसी भी क्षेत्र में सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना इतना आसान भी नहीं होता है। अक्सर आपकी साधना के मार्ग या फिर कहें लक्ष्य की राह में तमाम मुश्किलें आती हैं। एक आम आदमी को समाज में आज जो भी समस्याएं या मुश्किलें दिखाई दे रही हैं, उनके बारे में ने बहुत पहले ही विस्तार से चर्चा कर दी थी। साथ ही उसके व्यवहारिक समाधान भी बताए थे। संत कबीर की दिव्य वाणी का प्रकाश आज भी हमें समस्याओं के अंधेरे से निकाल कर समाधान के प्रकाश में ले जाती है। आइए जिंदगी का फलसफा सिखाने वाली ऐसी ही कबीर की दिव्य वाणी का सार जानते हैं।                                                          ...
                                        कबीर पंथ  क्या है कबीर पंथ  कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे. वह हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग के प्रवर्तक थे. निर्गुट विचारधारा को मानते थे. उनकी रचनाओं का काफी असर पड़ा. कबीर के शिष्यों ने फिर उनकी विचारधारा पर एक पंथ की शुरुआत की, जिसे कबीर पंथ कहा जाता है. माना जाता है कि देशभर में करीब एक करोड़ लोग इस पंथ से जुड़े हुए हैं. हालांकि ये पंथ भी अब कई धाराओं में बंट चुका है. संत कबीर ने अपने विचार फैलाने का जिम्मा चार प्रमुख शिष्यों को दिया. ये चारों शिष्य 'चतुर्भुज', 'बंके जी', 'सहते जी' और 'धर्मदास' थे, जो देशभर में चारों ओर गए ताकि कबीर की बातों को फैलाकर एक अलग तरह का समाज बनाया जा रहा है. हालांकि उनके पहले तीन शिष्यों के बारे में कोई बहुत ज्यादा विवरण नहीं मिलता. हां, चौथे शिष्य धर्मदास ने कबीर पंथ की 'धर्मदासी' अथवा 'छत्तीसगढ़ी' शाखा की स्थापना की थी, जो इस समय देशभर में सबसे मजबूत कबीर पं...